पत्थरों के ढेरों से,
सीढियां बना देते हैं|
खामियां को बेचकर,
उद्योग बना देते हैं|
अक्सर आज से,
नाखुश रहते हैं|
बीतने से पहले,
वक़्त बदल देते हैं|
कल्पना ऐसी,
आसमान कम पड़ जाए!
नज़र जामाए हैं,
नज़र जामाए हैं,
कोई मौका बचकर दिखाए|
अक्सर मोहब्बत में,
मुश्किलें होती है|
यह कैसी नस्ल है,
जिन्हें मुश्किलों से,
मोहब्बत है|
कल की दास्ताँ के रचनाकार हैं|
सिरफिरे से, इंटरप्रेन्योर हैं|
इंटरप्रेन्योर= Entrepreneur
Congratulations ! Your blog post has been featured in the Tangy Tuesday edition of 21st July at BlogAdda. Cheers :)
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