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Showing posts from January, 2018

ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो|

This poetry is a note-to-self. राह चलते, किसी अजनबी  से आँखें मिले तो, ज़रा मुस्कुरा लिया करो|  ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो| बड़े mature  हो तुम सब जानते हैं, पर कभी मन मानियाँ कर लिया करो| ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो| मौसम का कहा भी कभी मान लिया करो , अपना कोट उतारकर बूंदों को गले लगा लिया करो| ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो| हर बार बोलों के मायने मत टटोला करो , कभी कभी बस धुनों पर कदम थिरका लिया करो| ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो| तुम्हारी खामियां भी तुम्हारी अपनी हैं, उनका बेहिचक मज़ाक बना लिया करो| ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो| कहते है फ़ाज़ली जी, होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज़ है| कभी कभी बेख़ुदीयों को आजमा लिया करो ज़रा सा जोखिम उठा लिया करो|