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तालाब

Hello everybody! It has been a long time! In this piece, I wanted to talk about myself. As many of you would have observed or knew that I am an introvert or a not-so-social person. Poetry is a perfect outlet for people like me. Hope you like this.  P.S. तालाब is a metaphor मैं तालाब हूँ| सतत बहना मेरा मिज़ाज नहीं, न मैं चट्टानों से लड़ने का दावा करता हूँ| मैं दूसरे नदियों या की तालाबों से भी, ज्यादा मिलता जुलता नहीं हूँ! मेरे ख्याल में नदी खुदको , बड़ी खूबी से market करती है ! प्रस्ताव, पानी की आवाज़ और पर्वतों से बहने का दो दृश्य दिखाकर, आकर्षित करती है! और दूसरी और देखो तो मैं , निशब्द, अपने आप में एक संसार | न कोई आकर्षण, न कोई अदा, मेरा परिचय ही चुप्पी है| कहने को है बहुत कुछ मुझे भी, बस जुर्रत नहीं कहने की| बेचने नहीं आता मुझे, तो तसल्ली के लिए कह देता हूँ की बिकाऊ नहीं हूँ| मेरे तेवर से तुम्हें, जलन की बू आ रही होगी, पानी का बना हूँ, पर  मुझमें  ज़रा सी जलन  है  | शायद जलन नहीं है, शायद नदी जैसा बन्ने की, एक तीव्र ललक है|